लक्ष्मी भाव-चैतन्य प्रयोग
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अवचेतन मन के काम करने के दो मुख्य नियम होते हैं। दोहराने से हर चीज अवचेतन मन का हिस्सा (आदत) बन जाती है। अवचेतन मन सच और कल्पना में अंतर नहीं करता। इन दो नियमों के आधार पर अब हम अपने जीवन में आदतों में जैसा चाहें बदलाव ला सकते हैं, नए गुण डाल सकते हैं, असंभव कार्य कर सकते हैं, अपना स्वभाव बदल सकते हैं।
मंत्र साधना, और पूजा के प्रयोग अवचेतन मन को साधने के सबसे सरल उपाय है। जो लोग धन संबंधित समस्याओं से परेशान हैं, कही न कही उनके अवचेतन मन मे धन को लेकर मौज़ूद नकारात्मक विचार ही बहुत हद तक जिम्मेदार है। ऐसे लोगो के ह्रदय में यदि धन की अधिष्ठात्री देवी माँ लक्ष्मी के भाव को चैतन्य कर दिया जाए तो सारी धन संबधित समस्याओ से छुटकारा आसानी से पाया जा सकता है।
जब कोई भाव हमारी प्रार्थनाओं में लगातार आता है तो पूरे घर का वातावरण उस भाव में रंगने लगता है, घर का हर सदस्य के मन में प्रार्थनाओं के अर्थ खुलने लगते हैं। अवचेतन मन प्रार्थनाओं के अनुसार कार्य करने लगता है। घर का हर सदस्य कण-कण जोड़ने में लग जाता है और लक्ष्मी की कृपा बरसने लगती है।
इस बार लक्ष्मी भाव-चैतन्य के गुप्त प्रयोग से जुड़ने के लिए आज ही जुड़े, हमारी सातवी दिव्य दीपोत्सव साधना से। अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें।