घंटाकर्ण महावीर कल्प यंत्र प्रयोग
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स्थिर लक्ष्मी व व्यापार वृद्धि कारक
हिन्दुओं की चौसठ योगिनियों एवं बावन वीरों में से यह एक महावीर घंटाकर्ण (बेताल) है। भारतीय वैदिक, जैन और बौद्ध संस्कृतियों में अनेक देवी-देवताओं की उपासना समान रूप से होती है। परवर्ती जैन धर्मावलम्बियों ने इस वीर को अपने धर्म में भी बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान दिया, ऐसी मान्यता है कि घंटे की ध्वनि कानों तक पहुंचे इतने, समय में ही इस महावीर की शक्ति कार्य कर जाती है।
श्री घंटाकर्ण अतिशय प्रभावी, शक्ति संपन्न, इनके प्रताप से अड़चनें दूर होती हैं, कार्य में सफलता मिलती है। श्री घंटाकर्ण प्रसन्न होकर नौ निधियों, बारह सिद्धियों से परिपूर्ण करते हैं। इनका आशीर्वाद विघ्न-बाधाओं के कांटों को चुनकर जीवन के मार्ग को आसानी से चलने योग्य बनाता है।
घंटाकर्ण के विषय में एक अन्य प्रसंग का विवेचन भी कतिपय स्थलों पर उद्धृत है। वैदिक संस्कृति के अनुसार पुराणों में घण्टाकर्ण को एक शिव भक्त के रूप में प्रशंसा प्राप्त है। यह ऐसा भक्त था कि अपने इष्टदेव के नाम-गुण सुनने के अतिरिक्त किसी अन्य देव की महिमा नहीं सुनना चाहता था, और इसी से बचने के लिए उसने अपने कानों में दो घण्टे बाँध लिए थे। जब भी कोई अन्य देव की प्रशंसा करता तो वह अपना सिर हिलाकर घण्टे बजाता जिससे कान में अन्य देव की महिमा के शब्द नहीं पहुँचते। ऐसी अनन्य भक्ति के कारण ही भगवान शिव ने 'घण्टाकर्ण' को वरदान दिया कि तेरा स्मरण और पूजा जो करेगा उसकी अभिलाषा सिद्ध होगी। इसी आधार पर घण्टाकर्ण देव की पूजा और उसका मन्त्र जप प्रसिद्ध है तथा यह तत्काल सिद्धि प्रदान करने वाला है।
लक्ष्मीप्राप्ति हेतु घंटाकर्ण कल्प यंत्र प्रयोग अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है, इस बार की हमारी दीपोत्सव साधना में, दीवाली उपरांत ग्रहण में, घंटाकर्ण महावीर का ये दिव्य प्रयोग करके आप भी लाभान्वित हो सकते है। अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गयी लिंक में क्लिक करे।