स्विच मन्त्र सीरीज़ का नवां मन्त्र अत्यंत सुंदर व प्रभावशाली मंत्र है । ‘अघोरास्त्र विद्या’ के इस शिरोन्यास मंत्र के जाप से हम अपने ऊपरी चक्र(सह्स्रार चक्र या Crown chakra) से जुड़ कर शिव की चैतन्यता से जुड़ सकते है।
नवां स्विच मंत्र इस प्रकार है –
“ॐ शिव शिवाय नम:”
शिव हिंदू जनमानस में सबसे अहम दैवीय उपस्थिति हैं। "शिव" संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है, कल्याणकारी या शुभकारी। यजुर्वेद में शिव को शांतिदाता बताया गया है। 'शि' का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला, जबकि 'व' का अर्थ देने वाला यानी दाता।
"शिवाय" (श+इ+व+आ+य ) का अर्थ है - श - ( शम्बरम्-जल ) , इ - ( इन्दु-चन्द्रमा ) , व- ( वह्वि - अग्नि ) , आ - ( आत्मा ) और य - ( यज्या-पृथ्वी ) |
"नम:" (न+म+अ+अ:) का अर्थ है - न- ( नभस-आकाश ), म- ( मरुत-वायु ), अ- ( अहर्पति - सूर्य )
यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड महादेव शिव की “अष्टात्मक” मूर्ति है - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, सूर्य, चन्द्रमा, एवं आत्मा। ये सभी मूर्तियाँ 'शिवाय नम:’ में नित्य प्रतिष्ठित हैं |
इस प्रकार हम “ॐ शिव शिवाय नम:” स्विच मंत्र में कल्याणकारी, शांतिदाता शिव तथा उनमें स्थित सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की ऊर्जा से हम जुड़ सकते है। जिससे मन के विकार नष्ट होकर विश्व के कल्याण की भावना बढ़ने से आत्मिक विकास होता है।
यह हमारी आत्मा को ब्रह्मांड की चेतना से जोड़ता है और हमें महादेव शिव की असीम कृपा की प्राप्ति होती है।
स्विच मन्त्र “ॐ शिव शिवाय नम:” का निरंतर जाप हमें अपने 'सहस्रार चक्र' से जोड़ता है और ध्यान की अवस्था लाने में मदद करता है। ध्यान में जब व्यक्ति सहस्रार चक्र पर पहुंचता है, यहां मन पूरी तरह निश्चल हो जाता है और पूर्णता की प्राप्ति होती है।
नोट : भगवान शिव को विशेष रूप से समर्पित 'श्रावण मास' में इस स्विच मंत्र का जाप और भी प्रभावशाली हो जाता है ।
इस मंत्र को जितना अधिक लिखेंगे या जपेंगे, उतना अधिक शिव चैतन्यता से जुड़ेंगे!