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दुर्गा सप्तशती और उनकी गुप्त शक्तिया

दुर्गा सप्तशती और उनकी गुप्त शक्तिया

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मेरु तंत्र में व्यास द्वारा कथित तीनों चरितों की अलग-अलग सप्तसतियों (सप्तशक्तियो) का वर्णन है।  इन सप्तशक्तियो के 700 प्रयोगों के कारण ही व्यास जी ने सप्तशती नाम से वर्णन किया है। दुर्गा सप्तशती में तीन चरित है। और हर चरित में देवी के अलग अलग रूपो का प्रकट और अप्रकट रूप है।


प्रथम चरित्र में ब्रह्मा, इंद्र, गुरु, शुक्र, विष्णु, रुद्र और असुर इन सातों के द्वारा भगवती की उपासना की गई, उनकी अलग-अलग आराध्या होने से उनकी सात शक्तियां सप्तशती कहलाई। प्रथम चरित्र में इन्हीं शक्तियों का वर्णन हैं।  


मध्यम चरित्र में सात प्रकट और सात अप्रकट शक्तियां हैं। लक्ष्मी ललिता, काली, दुर्गा, गायत्री, अरुंधति, और सरस्वती यह सात शक्तियां प्रकट रूप से मध्यम चरित्र की है। काली, तारा, छिन्नमस्ता, मातंगी, भुवनेश्वरी, बाला और कुब्जिका यह सात शक्तियां अप्रकट रूप से कही गई है। 


उत्तर चरित्र में सात प्रकट और सात अप्रकट शक्तियां हैं। उसमें  ब्राम्ही, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंह और ऐन्द्री ये सात शक्तियां प्रकट रूप से है। नंदा, शताक्षी, शाकंभरी, भीमा, रक्तदंतिका, दुर्गा, और भ्रामरी ये सात शक्तियां गुप्त रूप से है 


दूर्गा सप्तशती का पाठ यदि नवरात्रि में किया जाए, तो ये हर प्रकार के कष्ट हरने वाला होता है। इस नवरात्रि दुर्गा सप्तशती के पाठ, और उसके शक्तिशाली प्रयोगों से जुड़ने के लिए जुड़े शक्ति साधना से। अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गयी ग्रुप लिंक क्लिक करे।


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