दुर्गा अष्टाक्षर मंत्र रहस्य
दृश्य और अदृश्य फल देने वाला, पाप तथा दुखो को दूर करने वाला ये देवी का सबसे शक्तिशाली मंत्र है।
ॐ- प्रणव
ह्रीं- माया और समृद्धि का बीज
दुं- दुख हरने वाला
को माँ दुर्गा के नाम मंत्र से मिलाने से ये मंत्र बनता है।
ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः
देवी माँ का स्वरूप ध्यान
जो सिंह पर आरूढ़ है, जिनके मस्तक पर चंद्र विराजमान है, जो मरकत मणि के सदृश अपने चार भुजाओं में, शंख, चक्र, धनुष और, बाण धारण की है, जो तीन नेत्रों से सुशोभित है, जिनके बाहु प्रदेश में केयूर, गले में हार, कमर में कांची तथा पैरों में शब्दायमान नूपुर एवं कानों में रत्नजटित कुंडल शोभित हो रहे हैं, ऐसी दुर्गा आपकी समस्त दुर्गतियो, दुष्ट गति एवं दारिद्र्य को नष्ट करने वाली होंवे।
दुर्गा अष्टाक्षर मंत्र प्रयोग
1- जल को इस मंत्र से अभिमन्त्रित कर पिलाने से व्याधि दूर होती है।
2- घी को इस मंत्र से अभिमंत्रित करके भोजन में उपयोग करने से क्षुद्र रोग समाप्त होते है।
3- संतान प्राप्ति के लिए ये मंत्र तुरंत फलदायी है।
4- ये मंत्र समृद्धि और विजय दिलाने वाला है।
नित्य इस मंत्र का जाप किया जाए तो ये सारी पीड़ा हरने वाला है।
विवेक
अनंत प्रेम
अनंत प्रज्ञा