आज नृसिंह जयंती मनाई जा रही है. ये जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।भगवान नृसिंह की कहानी में ही हमारे मोक्ष का मार्ग छिपा है। प्रह्लाद जैसी सरल हमारी आत्मा है, बिल्कुल बच्चे जैसी निःस्पृह। हिरण्यकश्यपु हमारा अहंकार है, आत्मा जब अहंकार रूपी शरीर में बंधती है तो वो माया का पाश है फँसी होती है।हिरण्यकश्यपु को वरदान था ना वो घर के अंदर (शरीर) मरे ना बाहर (शरीर से मुक्त),और इस माया को ना शरीर से बंध के ना शरीर के बाहर काटा जा सकता है, जब सरल हृदय से प्रह्लाद बन के हम उस अनंत ऊर्जा का ध्यान करते है, तब वो पशु से मानव बन कर हमें सांसो को डोरी (दहलीज) जो शरीर (घर) और निशरीर (घर के बाहर) को जोड़ती है, के हृदय को फाड़ कर, ( भक्ति के मार्ग से अपने पूरे हृदय को खोलना) हमे मोक्ष के मार्ग में ले जाती है।भगवान नृसिंह का तारण मंत्रजब हृदय में भय व्याप्त हो, घोर अंधकार नजर आ रहा हो।असमंजस की स्थिति हो, रात्रि में बुरे स्वप्न परेशान कर रहे हो। मृत्यु का भय सता रहा हो। आकाश और प्रकृति में महान उत्पातो का भय आ रहा हो। ऐसी स्थिति में भगवान श्री नृसिंह का स्मरण सारे दुःखो से छुटकारा दिलाने वाला माना जाता है। इनका हृदय में सिर्फ ध्यान ही भय को समाप्त करने वाला है। भगवान नृसिंह का सरल ध्यान-जिनके शरीर की कांति सूर्य के समान चमकीले पर्वत के तुल्य है, जो अपने तेज़ से समस्त राक्षस गणों को डरा रहे हैं, जो अपने दोनों बाहुओं में शंख और चक्र धारण किये हुए है, जिनके बड़े बड़े दाँतो से युक्त मुखमंडल में ज्वाला उगलती हुई जीभ लपलपा रही है, जिनके समस्त बाल समूह ऊपर को खड़े है, ऐसे सर्वव्यापक भगवान श्री नृसिंह का मैं भजन करता हूं। अपने हृदय में भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए, निम्न मंत्र जो मुझे भगवान नृसिंह के ट्रांसमिशन के दौरान प्रकट हुआ था, का जाप करें। इस मंत्र में भगवान नृसिंह का सौम्य भाव है, जो भक्तो को भवसागर से तारने वाला है। भगवान नृसिंह का तारण मंत्रअनंताय नमः, अच्युताय नमः, गोविन्दाय नमः , नृसिंहाय नमःसरल हृदय से प्रह्लाद बन के इस मंत्र का जितना ज्यादा जाप हो सके करें, ये आपको हर प्रकार के संकट से मुक्ति दिलाने वाला होगा।विवेकअनंत प्रेमअनंत प्रज्ञामहाशक्ति रेडिएंस आज नृसिंह जयंती मनाई जा रही है. ये जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।भगवान नृसिंह की कहानी में ही हमारे मोक्ष का मार्ग छिपा है। प्रह्लाद जैसी सरल हमारी आत्मा है, बिल्कुल बच्चे जैसी निःस्पृह। हिरण्यकश्यपु हमारा अहंकार है, आत्मा जब अहंकार रूपी शरीर में बंधती है तो वो माया का पाश है फँसी होती है।हिरण्यकश्यपु को वरदान था ना वो घर के अंदर (शरीर) मरे ना बाहर (शरीर से मुक्त),और इस माया को ना शरीर से बंध के ना शरीर के बाहर काटा जा सकता है, जब सरल हृदय से प्रह्लाद बन के हम उस अनंत ऊर्जा का ध्यान करते है, तब वो पशु से मानव बन कर हमें सांसो को डोरी (दहलीज) जो शरीर (घर) और निशरीर (घर के बाहर) को जोड़ती है, के हृदय को फाड़ कर, ( भक्ति के मार्ग से अपने पूरे हृदय को खोलना) हमे मोक्ष के मार्ग में ले जाती है।भगवान नृसिंह का तारण मंत्रजब हृदय में भय व्याप्त हो, घोर अंधकार नजर आ रहा हो।असमंजस की स्थिति हो, रात्रि में बुरे स्वप्न परेशान कर रहे हो। मृत्यु का भय सता रहा हो। आकाश और प्रकृति में महान उत्पातो का भय आ रहा हो। ऐसी स्थिति में भगवान श्री नृसिंह का स्मरण सारे दुःखो से छुटकारा दिलाने वाला माना जाता है। इनका हृदय में सिर्फ ध्यान ही भय को समाप्त करने वाला है। भगवान नृसिंह का सरल ध्यान-जिनके शरीर की कांति सूर्य के समान चमकीले पर्वत के तुल्य है, जो अपने तेज़ से समस्त राक्षस गणों को डरा रहे हैं, जो अपने दोनों बाहुओं में शंख और चक्र धारण किये हुए है, जिनके बड़े बड़े दाँतो से युक्त मुखमंडल में ज्वाला उगलती हुई जीभ लपलपा रही है, जिनके समस्त बाल समूह ऊपर को खड़े है, ऐसे सर्वव्यापक भगवान श्री नृसिंह का मैं भजन करता हूं। अपने हृदय में भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए, निम्न मंत्र जो मुझे भगवान नृसिंह के ट्रांसमिशन के दौरान प्रकट हुआ था, का जाप करें। इस मंत्र में भगवान नृसिंह का सौम्य भाव है, जो भक्तो को भवसागर से तारने वाला है। भगवान नृसिंह का तारण मंत्रअनंताय नमः, अच्युताय नमः, गोविन्दाय नमः , नृसिंहाय नमःसरल हृदय से प्रह्लाद बन के इस मंत्र का जितना ज्यादा जाप हो सके करें, ये आपको हर प्रकार के संकट से मुक्ति दिलाने वाला होगा।विवेकअनंत प्रेमअनंत प्रज्ञामहाशक्ति रेडिएंस
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